वीर बालिका
नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका,
भय नाशक अरु देश सेविका ।
शीश उठाकर सीना ताने।
ये दीवाने हैं मस्ताने।
खाकी वर्दी टोपी डाले।
कांधे पर बंदूक सँभाले।
श्रम बिन्दु का लगा के टीका।
नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका।
एक ताल से कदम मिलाते।
आगे बढ़ते चलते जाते।
कांधे कोमल छिले हुए हैं।
पर आपस में मिले हुए हैं।
सीख रहें हैं एक सलीका।
नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका।
सीख रहें हैं शस्त्र चलाना।
दुश्मन को है मार भगाना।
कठिन परिश्रम करने वाले।
हँसी खुशी से ये मतवाले।
खाना खाते बिलकुल फीका।
नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका।
कठिन डगर है पथ पथरीले।
फिर भी नभ के पोर टटोले।
मुख से उफ़ ये कभी न कहते ।
ये संकट का चरण न गहते ।
कंटक लगते पुष्प वाटिका।
नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका।
वीर-सिपाही बन जायेंगी।
फिर सरहद पर ठन जायेंगी।
नित्य नवल इतिहास रचेंगी।
हिन्द देश का मान लिखेंगी।
निज हाथों में लिए तूलिका।
नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली