वीर पुत्र, तुम प्रियतम
हे वीरभूमि के वीर पुत्र तुम
मैं राह देखती तुम्हारी रोज़।
मातृभूमि की रक्षा करने
पद खूब मिला तुझे है फौज ।।
आस मिलन की लिए हरपल
मैं भार्या तुम्हारी प्रियतम।
हे प्राणनाथ! तुम दीपक बनकर
दूर करो हर घर का यह तम।।
नाज़ तुझ पर मात-पिता को
नाज़ करती मैं पत्नी बनकर
नाज़ तुझ पर है मातृभूमि को
सामना दुश्मनो का करो तुम डटकर।।
वह दिन दिवाली सा होता है
जब कुछ दिन तुम घर आते हो।
अवकाश तुम्हारा लिए साथ कर्तव्य।
फिर बिछड़ कर चले जाते हो।।
मैं इंतज़ार करती हूँ हरपल
तुम्हे पास हमेशा पाने का।
मैं इंतज़ार करती हूँ हरपल
तुम्हे हृदय से लगाने का।।
देश के सभी मात-पिता का
देश के सभी भाई- बहन का
शुभाशीष देते हे वीर पुत्र तुझे
तुम रक्षा करना इस जहान का।
संजय कुमार ‘सन्जू’
शिमला हिमाचल प्रदेश