वीरो की गाथा….
ये धरती नील गगन तल,
वीरों की गाथा गता है…
वीर महाराणा के युद्ध कौशल के आगे,
इतिहास आज भी शीश नवता है।
भारत भूमि की के कण कण से,
विरो की खून की खुशबू आता है,
जिस खुशबू से मोहित होकर,
जर्रा जर्रा मुस्काता है….
वीर भगत के बलिदान को,
भारत का बच्चा बच्चा गया है
वीर महाराणा के युद्ध कौशल के आगे,
इतिहास आज भी शीश नवता है।
चन्द्र रूप धर धरा पे आया,
चंद्रशेखर था नाम पड़ा,
रो पड़ा था धरती और अम्बर,
जब चन्द्र मुख पे कफ़न पड़ा।
देख सुभाष की ज्ञान शिल को,
गोरे भी थर्राते थे,
इतिहास की क्या बात करू,
हर लफ्ज़ यही दोहराता है।
मातृ भूमि पड़ जान लूटा कर,
हम सब को अकेला छोड़ गए,
चुका दिया भारत मां का क़र्ज़,
अपनों से नाता तोड़ गए।
लौट आओ शेखर सुभाष तुम
याद तुम्हारा आता है,
इतिहास का पन्ना पन्ना ,
तुम्हारी गाथा गया है।
सम्राट मिथिलेश सिंह