वीरों की यादें
धरा के भव्य सुत तू
राष्ट्र रक्षक दूत तू
कहाँ करता विश्राम तू
स्वाभिमानी बलवान तू;
अनन्त कोटि जननायक तू
मानवता के लायक तू
अरिमर्दन यतींद्र तू
हे वीर! व्रती मुनिन्द्र तू
भारत की रचना को तूने,
संक्रमण में जोड़े दिया
स्वाभिमानी भारत के सुत,
टक्कर तूने बेजोड़ दिया
किन्तु हाय! लज़्ज़ा की बात,
त्याग लोगों ने छोड़ें दिया
देशभक्ति में कौन मरे,
स्वाभिमान को फोड़ दिया
सतत मानवता का संखनाद,
हो भारत का गुणगान
सदियों से तेरा भारत,
रहा वीर महान भारत
भू का गौरव तेरा है उत्थान!
अटूट, अखण्डित व्रती सभी हों,
कृपा करे दिनमान
खंडित भारत का आर्तनाद
कम्पित, व्यथित, शोषित समाज
सज्जन करते पल-पल याद!
अहा कैसा अनहद निनाद !