#वीरों की पहचान (#वीर/आल्हा)
देखो मत तुम दाग़ चाँद में , मिला चाँदनी का अहसान।
ठोकर खाकर मंज़िल पाई , उस ठोकर पर दिल कुर्बान।।
वक़्त परीक्षाएँ लेकर ही , करता आया सदा महान।
वीर वही जन कहलाएँगे , पत्थर पर जो लिखते गान।।
परिणामों से क्या डरना है , भरना चाहो अगर उड़ान।
गिर-गिर के उड़ता खग अंबर , दूर छोड़कर भू- मैदान।।
श्वास शंख में जितनी डाली , गूँजी उतनी ध्वनि की तान।
मरकर भी वो अमर रहेंगे , देश – प्रेम में दे दी जान।।
मेघ गर्जता हो वाणी में , क़दमों में जिसके तूफ़ान।
सीना हो फ़ौलादी जिसका , चाहेगा कब वो अहसान।।
अन्यायी को मार भगाए , असली योद्धा वीर जवान।
सपने उसके ज़िंदा होते , होठों पर जिसके मुस्क़ान।।
कमज़ोरों पर रोब जमाए , गिरा हुआ है वो इंसान।
सूने आँगन जो महकाए , कहते हैं उसको भगवान।।
झूठी शान दिखाने वालो , ताश-महल की कैसी शान।
एक हवा का झोंका इसको , कर देता पल में अनजान।।
(C)आर.एस.’प्रीतम’
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