वीरान जाने
दक़ीक़त पुर-शिकन वीरान जाने
सुखन में बारहा शमशान जाने
हुआ जो दर्द तन्हा नीमजाँ तो
ग़ज़ल इबरत जुनूं मीज़ान जाने
क्या दुनिया ख़ुदा बिस्मिल फ़ज़ा
सुख़न-गोई में बस ख़ासान जाने
अदा हासिल तिरी ताक़ीद से
बचे कैसे कमर ईमान जाने
रहा उलझा बयाबां में कुनू
नज़र आई वो तो रुजहान जाने