#वीरबालदिवस
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🚩 #वीरबालदिवस 🚩
चावल हुए रंग हल्दी
दूध मिला केसर
हँसके चढ़े घोड़ी
छोटे राजकुंवर
शिशिरऋतुवेला में
पौरुषप्रकाशप्रखर
करनी कर गए बेटे
मनाओ बालदिवस
चावल हुए रंग हल्दी . . . . .
माँ की ममता से तपता
ठंडा बुर्ज हुआ निहाल
सूरज उगते अस्त हुआ
टुक्कड़खोर ही निकला काल
वज़ीरखान ललकार उठा
आओ शरण फेंको धर्ममशाल
दसों दिशाएं गूंज उठीं
जो बोले सो निहाल
सत् श्री अकाल !
चावल हुए रंग हल्दी . . . . .
तिलक जनेऊ विषधर हुए
जब धर्म शेष था बातों में
रातें जब यमपुरी हुईं
दिन बदले काली रातों में
हा ! हिंद की चादर आन फंसी
गंगू मंगू की घातों में
दीवार जब थर्रायी गिरी
सिंहशावक हुए हलाल
चावल हुए रंग हल्दी . . . . .
धन्य धन्य चमकौर की धरती
चमकी जहाँ अजीत की तेग़
पवन स्तंभित हो गई
निरख वीर जुझार का वेग
आकाश से ऊंचे हुए पिता
लखते धर्मवीरों का तेज
स्वर्गधाम गई माँ गुजरी
पीछे – पीछे लाल
चावल हुए रंग हल्दी . . . . .
जगे हिंदू धर्म जगे
मिटे जगत से सब उत्पात
पहली अंतिम सीख यही
सब मानस की एको जात
चरणधूलि दशमेश पिता की
हाथ जोड़ सजाओ माथ
धर्महित सुत चार दिए
अभी जीवत कई हजार
चावल हुए रंग हल्दी . . . . .
लेखनीवीरों की शमशीर लेखनी
यही ध्वजा यही आधार
असत्य अधर्म के भंवरजाल में
पार उतारे यह पतवार
सिर धर तली वो उतरे रण में
जिस मन भावे यह व्यापार
उस पथ के पथिक होवें
जिस पथ नीले घोड़े का असवार
चावल हुए रंग हल्दी . . . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२