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11 Sep 2019 · 1 min read

वीणा मैं तुम्हारी जिसके तुम तार

वीणा मैं तुम्हारी जिसके तुम तार
साज हूँ मैं तुम्हारा तुम उसका सार
सुर भी संगीत भी मधुर अहसास जब हो तकरार
सुगम हो जाती राह बनती जब इकतार

निर्झरिणी मैं तुम्हारी जिसकी तुम धार
विषम राह प्रस्तर जो पार कर चली हर बार
नील गगन की दामिनी जो उज्ज्वलता भरी
संग जिसके वारिद शीतलता भरा

स्वप्न को उर में सजाये नभ का खग हूँ
विश्वासो की डोर जिसके संग है
आशाओं का सिन्धु बन नव मोड़ लाया हूँ
वेदना विषमताओं को भी झकझोर पाया हूँ

वीणा में तुम्हारी जिसके तुम तार

Language: Hindi
2 Likes · 253 Views
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