वीकेंड
“वीकेंड”
हफ्ते भर की थकान के बाद आया जो वीकेंड,
लम्बे समय बाद फिर मिल बैठे हम सब फ्रेंड।
पत्नी जी हमारी गई हुई थी करने मंदिर में पूजा,
हमने सोचा नहीं मिलेगा इससे अच्छा मौका दूजा।
झटपट पार्टी करने का सारा सामान ले आए,
मनपसंद सब सामान लेकर बैठे जो चाहे खाए।
बोतलें खाली हुई अब सारी व्हिस्की हो या रम,
उनके रंग में रंगकर हम सब भूल गए सारे गम।
फिर ऐसा हमपे खुमार चढ़ा कि भूल गए सारी बातें,
होने लगी कॉलेज और जवानी के दिनों की बातें।
याद कर रहे थे हम सब अपने यादगार दिन और रातें,
कोई लव स्टोरी बताता तो कोई याद करता मुलाकातें।
इसी बीच जाने कैसे अचानक हम पर बिजली टूटी थी,
दरवाज़ा खुद से खुला क्योंकि उसकी कुण्डी टूटी थी।
शर्म से लाल हम सभी की नजरें जमीन पर गड़ी थी,
साक्षात चंडी रूप में सामने हमारी पत्नी जी खड़ी थी।।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर, रायपुर छत्तीसगढ़