विषय- माँ, विधा- गीत ( साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता )
साहित्यपीडिया काव्य प्रतियोगिता
विषय- माँ
विधा- गीत
रुलाता है सारा ज़माना,
तू ही तो आँसू पोंछती है माँ,
मैने कुछ खाया है कि नहीं,
तू ही तो यह सब सोचती है माँ |
रोता हूँ अकेला, आँसू पोंछो न माँ |
भूखा हूँ पड़ा मैं, कुछ खिलादो न माँ ||1||
तेरी एक फूँक से ही बस,
दर्द सारे ही मिट जाते हैं माँ,
एक बार देखो न इधर भी,
ये दर्द सभी दिल दुखाते हैं माँ |
दर्द भी अब है बहुत, कि अाज फूँको न माँ |
दिल आज दुखा बहुत, अब तुम देखो न माँ ||2||
गर्मी तो है गमों की बहुत,
आँचल की छाँव में बुलालो न माँ,
थक गया दुनिया से बहुत मैं,
गोद में अपनी अब सुलालो न माँ |
कि मुझे अपने पास, अब बुलाओ तो माँ |
कि मीठी सी लोरी, मुझे सुनाओ न माँ ||3||
-कवि शिवम् सिंह सिसौदिया ‘अश्रु’
ग्वालियर, मध्यप्रदेश