विषय फूल
विषय-फूल
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हां ! मैं एक फूल हूं,
किसी बगिया की शोभा हूं।
गजरा बन नारी के जूड़े की
सुंदरता हूं।
मैं एक फूल हूं—–
प्रभु के गले का में हार हूं,
कभी धरा का चादर हूं ।
या वीरों पर अर्पित हूं ,
वरमाला की पहचान हूं।
हां मैं एक फूल हूं——-
हर रंग में मुझे तोड़ा गया,
जब मैं मुरझाया तो फैंका गया।
खिलने पर मुझको काटा गया,।।
मैं एक फूल हूं——-
मुझको इंसान सजा क्यों दे रहा,
हर डाली से मुझको तोड़े दे रहा।
मैं सोचता हूं कभी,बस में भी
एक भूल हूं ।।
क्यों कि मैं एक फूल हूं——-
जब दिल करता गुलिस्तां में,
सजा दिया जाता।
या फिर! धरा पर बिखरा दिया जाता,
कभी प्रभु के चरणों में चढ़।
समर्पित किया जाता,
जब मैं बहुत खुश मन ही मन होता।।
कि मैं एक फूल हूं——-
सुषमा सिंह*उर्मि,,
कानपुर