विषय:होली
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दस्तक देता आज है,होली का त्यौहार ।
प्यार मुहब्बत बाँटकर,शुद्ध करें आचार।।(१)
रंगो से खेलें सदा,रखकर उनका ध्यान ।
बुरा किसी को ना लगे,होली की पहचान ।।(२)
होली की पहचान है, छोड़ें बीती बात।
करें हास परिहास पर, करें नहीं आघात।।(३)
सतरंगी यह पर्व है, बासंती आधार।
भेद भाव को त्यागकर,मिलें सहज इस बार।।(४)
आओ मिलकर हम मिले,भूलें भेद कुभाव।
कटुता को छोड़ें महज,समुझें मन के भाव।।
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देखें दोहों के माध्यम से व्यंग
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सर्दी भी कमतर दिखे,भारी नेता बोल।
अन्त: में सब कुछ भरा,बाहर दिखता खोल।।
सर्दी की ठिठुरन भली, सीधा अनुभव होय।
नेता की भाषा जटिल,समुझ सके नहि कोय।।
शक्कर से मीठे हुए,नेता जी के बोल।
लगता शीघ्र चुनाव का,बजने वाला ढोल।।
?अटल मुरादाबादी✍️