विश्वास
जहां विश्वास होता नहीं वहां विश्वास दिलाया भी नहीं जा सकता जो अपना नहीं उसे अपना बनाया भी नहीं जा सकता।
कोशिशें ही है जो इंसान बार-बार करता है , लेकिन यह सब एक ख्वाब की तरह है।
जिसे हकीकत बनाया नहीं जा सकता ?
जहां विश्वास होता नहीं वहां विश्वास दिलाया भी नहीं जा सकता जो अपना नहीं उसे अपना बनाया भी नहीं जा सकता।
कोशिशें ही है जो इंसान बार-बार करता है , लेकिन यह सब एक ख्वाब की तरह है।
जिसे हकीकत बनाया नहीं जा सकता ?