विश्वास
विश्वास
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(1)
आँख मूंद कर विश्वास न कर ,
जज्बात में आकर विश्वास न कर।
कुछ ठोस सबूत तो जान ले,
सच्चे इंसान को पहचान कर।
(2)
कोई धोखा दे तो उसे माफ कर,
फिर उस पर विश्वास मत कर।
आई कठिनाइयों से संघर्ष कर,
अपनी मेहनत पर विश्वास कर।
(3)
स्वयं पर पहले विश्वास कर ,
लोगों से प्रेम की बात कर।
दुख सुख तो एक पहिया है,
उस परमपिता पर विश्वास कर।
(4)
जग में रहकर कुछ काम कर,
जग में रहकर कुछ नाम कर ।
सफलता की ऐसे सीढ़ी प्राप्त कर,
दुनिया की हर कोनो में पहचान कर।
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रचनाकार –डीजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पिपरभावना,बलौदाबाजार(छ.ग.)
मो. 8120587822