विवेक
प्राण तत्व में एक विशेष तत्व है
जिसे बुद्धि तत्व कहते हैं।
पर इसे नियंत्रित करने वाला ही
विवेक तत्व कहलाता है।
यही तो है जो यह बतलाता
क्या सही और क्या गलत है
जहाँ सत्य है वहीं पर रहता यह
बुद्धि से सही काम कराता है ।
सतयुग में थी इसकी अधिकता
त्रेता में थोड़ा कम हुआ पर
द्वापर में आधा रह गया।
कलयुग की तो बात करें क्या
विवेक कहाँ अब मिलता है।
कलयुग की यही विडम्बना बना है
बुद्धि तो है विवेक नहीं है।
थोड़ा बहुत बचा है बस यह जो
दुनिया को चला रहा है।
जिस दिन विवेक चला गया समझो
क्या कहने की आवश्यकता है?
-विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’