Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Jun 2023 · 1 min read

विविध विषय आधारित कुंडलियां

सब जन हैं आगोश में, धुन्ध धुएँ के आज
अतिशय कम है दृश्यता, सभी प्रभावित काज
सभी प्रभावित काज, नहीं कुछ अपने कर में
जन जीवन बेहाल, छुपे सब अपने घर में
यहीं रहा जो हाल, धुन्ध होगी और सघन
इसका एक निदान, अभी से सोचें सब जन।1।

बच्चे मानों पट्टिका, चाक आपके हाथ
चाहे इच्छा जो लिखें, उनके ऊपर नाथ
उनके ऊपर नाथ, असर वो होगा गहरा
परखें उनके भाव, यथोचित देकर पहरा
दिए जरा जो ध्यान, बनेंगे फिर वो सच्चे
कच्चे घड़े समान, सदा ही होते बच्चे ।2।

बोया पेड़ बबूल का, मिले कहाँ से आम
वक़्त रहे चेते नहीं, उसका यह परिणाम
उसका यह परिणाम, सभी बच्चे हैं बिगड़े
घिर व्यसनों के बीच, राह सुत सही न पकड़े
बचपन के दिन चार, सवारें उनको गोया
हाथ मलेंगे आप, अगर संस्कार न बोया।3।

जाना इक दिन छोड़कर, सबको अपना देह
सुंदर शुभ सत्कर्म से, जोड़ें हम सब नेह
जोड़ें हम सब नेह, रखे ना बैर किसी से
मय को दें हम त्याग, मिले सब दुःख उसी से
करें आत्म का ज्ञान, छिपा जो एक खजाना
चले ब्रह्म की ओर, जिसे सन्तों ने जाना।4।

नाथ सोनांचली

374 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी,
रास्ते पर कंकड़ ही कंकड़ हो तो भी,
पूर्वार्थ
हमनें अपना
हमनें अपना
Dr fauzia Naseem shad
जिंदगी मौज है रवानी है खुद की कहानी है l
जिंदगी मौज है रवानी है खुद की कहानी है l
Ranjeet kumar patre
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
तुम मेरी प्रिय भाषा हो
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
हर वक़्त सही है , गर ईमान सही है ,
Dr. Rajeev Jain
"ये जीवन"
Dr. Kishan tandon kranti
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
आध्यात्मिक व शांति के लिए सरल होना स्वाभाविक है, तभी आप शरीर
Ravikesh Jha
मानव जीवन - संदेश
मानव जीवन - संदेश
Shyam Sundar Subramanian
राष्ट्रशांति
राष्ट्रशांति
Neeraj Agarwal
मानवता का है निशान ।
मानवता का है निशान ।
Buddha Prakash
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
यूं सरेआम इल्ज़ाम भी लगाए मुझपर,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
ruby kumari
*परिचय*
*परिचय*
Pratibha Pandey
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
अन्ना जी के प्रोडक्ट्स की चर्चा,अब हो रही है गली-गली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
4536.*पूर्णिका*
4536.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जय श्री महाकाल
जय श्री महाकाल
Neeraj kumar Soni
कविता
कविता
Pushpraj devhare
बूढ़ी मां
बूढ़ी मां
Sûrëkhâ
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
अनेकों पंथ लोगों के, अनेकों धाम हैं सबके।
जगदीश शर्मा सहज
मुक्तक7
मुक्तक7
Dr Archana Gupta
सोचो
सोचो
Dinesh Kumar Gangwar
मेरी लाज है तेरे हाथ
मेरी लाज है तेरे हाथ
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ग़ज़ल
ग़ज़ल
कवि रमेशराज
* धीरे धीरे *
* धीरे धीरे *
surenderpal vaidya
बातें करते प्यार की,
बातें करते प्यार की,
sushil sarna
हरवक्त तुम मेरे करीब हो
हरवक्त तुम मेरे करीब हो
gurudeenverma198
..
..
*प्रणय*
तस्मात् योगी भवार्जुन
तस्मात् योगी भवार्जुन
सुनीलानंद महंत
हिंदू सनातन धर्म
हिंदू सनातन धर्म
विजय कुमार अग्रवाल
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
वो बाते वो कहानियां फिर कहा
Kumar lalit
Loading...