विविध विषय आधारित कुंडलियां
सब जन हैं आगोश में, धुन्ध धुएँ के आज
अतिशय कम है दृश्यता, सभी प्रभावित काज
सभी प्रभावित काज, नहीं कुछ अपने कर में
जन जीवन बेहाल, छुपे सब अपने घर में
यहीं रहा जो हाल, धुन्ध होगी और सघन
इसका एक निदान, अभी से सोचें सब जन।1।
बच्चे मानों पट्टिका, चाक आपके हाथ
चाहे इच्छा जो लिखें, उनके ऊपर नाथ
उनके ऊपर नाथ, असर वो होगा गहरा
परखें उनके भाव, यथोचित देकर पहरा
दिए जरा जो ध्यान, बनेंगे फिर वो सच्चे
कच्चे घड़े समान, सदा ही होते बच्चे ।2।
बोया पेड़ बबूल का, मिले कहाँ से आम
वक़्त रहे चेते नहीं, उसका यह परिणाम
उसका यह परिणाम, सभी बच्चे हैं बिगड़े
घिर व्यसनों के बीच, राह सुत सही न पकड़े
बचपन के दिन चार, सवारें उनको गोया
हाथ मलेंगे आप, अगर संस्कार न बोया।3।
जाना इक दिन छोड़कर, सबको अपना देह
सुंदर शुभ सत्कर्म से, जोड़ें हम सब नेह
जोड़ें हम सब नेह, रखे ना बैर किसी से
मय को दें हम त्याग, मिले सब दुःख उसी से
करें आत्म का ज्ञान, छिपा जो एक खजाना
चले ब्रह्म की ओर, जिसे सन्तों ने जाना।4।
नाथ सोनांचली