विलासिता
कमरे में बंद विलासिता
बाहर के अंधकार के
दर्द से बेखबर
रात भर अठखेलियाॅ करती रही।
भीतर की मिश्रित
खिलखिलाती
मधुर ध्वनि
बाहर के अंधकार का
मखौल उडाती रही।
रजनी स्वयं के अंधकार में
रोते बिलखते स्वर सुन
भौर तक काॅपती रही।
और अंदर भौर होकर भी
रात ही मचलती रही।