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25 Jun 2024 · 1 min read

विरह्नि प्रियतमा

अनंत युगों की बिछड़न
सदियों को समेटे बिरह
खोइ हुइ स्मृति महबूब की
लगे हुए लाखों दाग
कैसे आन् मिलु
साजन तुमसे
कसूर मुझसे हुआ
पतित्व मेरा नष्ट हुआ
मेरा प्रियतम से
दूर हुआ
त्राहिमाम त्राहिमाम त्राहिमाम नाथ मेरे
कैसे आन् मिलू साजन मेरे
मैं अभागिन हरजाई बेवफा
उम्मीद किस हक से करूं
दया निधान मेरे
विरह की अग्नि अब बस में नहीं
आस आपके प्यार की
बरसात की
हर पल मुर्शिद मेरे
दामन जो छूट गया तुम्हारा
आकर बचा लो प्राण मेरे

Language: Hindi
57 Views
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