विमला छंद
विमला छन्द
(सगण+मगण+नगण+लघु+गुरु, ११ वर्ण, ४ चरण, दो-दो चरण समतुकान्त)
112 222 111 12
तुझसे मेरा जीवन महका।
तुझसे मेरा आंगन चहका।
तुझसे ही ये जीवन चलता ।
तुझमें ही मेरा मन रमता।
मन का मेरे मोर मचलता।
तन का सारा जोर निकलता।
सुन राधा तेरे बिन कब मै।
मिल जाए जो तू फिर सब मै।
लहरों का जो शोर उछलता।
सुख भी चारो और बरसता।
मत आनाकानी कर वृषजा।
घट मेरे तू आकर बस जा।
********मधु गौतम