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15 May 2024 · 1 min read

विपदा

विपदा भारी मित्र,नहीं अब विलम्ब करना।
चिट्ठी पाते मीत , हमेशा मिलते रहना।
सुख -दुख में जो साथ ,सखा वे ही कहलाते।
कठिन समय का संग,मित्र भूले न भुलाते।।
डी एन झा दीपक ©

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