विनोद सिल्ला की कुंडलियां
लोकतन्त्र
मूल भावना खो गई, लोकतंत्र की आज|
निवेश पूंजीपति करें, वही चलाएं राज||
वही चलाएं राज, भाड़ में जाए जनता|
सत्ता बनी व्यापार, आमजन रहे उफनता||
कह सिल्ला कविराय, खिला ये भयानक फूल|
भावना हुई लोप, खो गया है भाव मूल||
-विनोद सिल्ला©