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14 Jul 2020 · 1 min read

विनती

हे प्रभु! हुई थी क्या हमसे,

इतनी भयानक बड़ी भूल।

खुशियों की सुंदर बगिया में,

बिछा दिए काँटों के फूल।

एक साथ विश्व की यह जनता,

करती है विनती बार-बार।

कि बंद करो ये प्रलय प्रभु,

सारी दुनिया अब गयी हार।

जन मानस की पुकार सुनों,

हे! बल बुध्दि के नागर,

फैला दो सुख की ज्योति प्रभु,

हे दीनबंधु! करुणा सागर।

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 366 Views
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