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9 May 2023 · 1 min read

वह पढ़ता या पढ़ती है जब

वह पढ़ता या पढ़ती है जब,
प्राचीन किसी साहित्य को,
वर्तमान की सतह पर रखकर,
इतिहास की करुणा और वीरता को,
प्राचीन सभ्यता के संघर्षों को,
तो पैदा होती है क्रांति की लौ,
उसके प्राणों में फिर से।

वह देखता या देखती है जब,
अपने पर्यावरण के चमकीले रुपों को,
पर्दे के अन्दर के अल्पपारदर्शी अभिनय को,
शीशे की खिड़कियों से झांकती आँखों को,
विकसित आदमी के महकते चमन को,
तो बनने लगती है सुनहरी तस्वीर,
उसकी आँखों और सपनों में,
और दिखाई देते हैं जब उसको,
आधुनिक नाटकों के नायक,
संस्कृति और प्रगति का नेतृत्व करते हुए,
इच्छा होती है उसकी भी यह सब करने की।

मगर जंजीर है उसके पैरों में,
उसकी असफलता इसी से है,
उसको प्यार है अपने परिवार से,
उसकी खुशी उसका अरमान है,
और उसकी कमजोरी एवं मजबूरी है,
जबकि वह तो चाहता या चाहती है,
आसमान में स्वच्छंद उड़ान भरना,
सभाओं में खुलकर बोलना,
बिना चिंता के जीना जीवन।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
313 Views
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