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15 May 2024 · 1 min read

विनती

बड़ों से है यही विनती,मिले आशीष छोटों को।
उसे भी देखकर आए,हॅंसी नमकीन होंठों को।
करें गुणगान हम सबका,सदा सम्मान करना है-
वही सहना सिखाते हैं,जगत के नर्म चोटों को।।

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