विधा शरदपूर्णिमा
शरदपूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं —
कान्हा रासरसाइया पूनों रात।
मुरली बजाइया गोपी दौड़ि आत।
सारी रात बाँसुरी धुन मा लीन रही,
सुबह भई जो जहाँ वो वहाँ पात।।
कोई चावल बिनत कोई खीर बनावत।
आँखिया मा नींद भरी झोका आवत।
देखि महतारी सुता दशा डाँट लगाए,
कौउन सो भेंग धरो तनिकु लाज नहि आवत।।
खीर बनिरही प्रातः काल कौउन सो उत्सव आज।
पनिया भरनि जाति नाहिं बिन कहे सबहि काज।
हँसि रही राधा ठाड़ि सखी तुमतौ हमकौ बचावौ,
पूनोंरातखीर गोपिन बनाई कृष्णा करनि सै नहिं बाज।।
सज्जो चतुर्वेदी जयश्रीकृष्ण