विधा-मुक्त छंद रचना.
साजन करवा चौथ आया है सोच खुशियां हजार लाया है अब हर सुहागन ने चांद से साजन थोडा सा रूप चुराया है जोड़ी मेरी तेरी कभी टूटे ना तुम और मैं कभी रूठे ना साजन हर जन्म साथ पाया दोनों खुशियों से घर सजाया चांद की पूजा करती हूं मैं तुम्हारी सलामती की दुआ तुझे लग जाए मेरी भी उमर हम रहे हर पल संग लुभा . स्वरचित-रेखा मोहन