विधा बरसाती रोग
बरसात का देखिए कमाल।
कहीं सूखा है कहीं बाढ़।
तबाही चारों ओर है मची
बरसाती रोंगों की भरमार।।.
डाक्टर के नखरे हजार।
रोगी है रोग से लाचार।
नर्सिंगहोम के क्या कहने,
गरीब हो गया बेचारा।।
लेटने को पलंग नहीं।
पैसा है दवाई नहीं।
स्टाप मौजमस्ती में,
लगती अब दुआऐं नहीं।।
सज्जो चतुर्वेदी********Shahjahanpur