विधा तारीख
एक तारीख वो थी।
पापा रिश्वतखोर थे।।
मम्मी परेशान थी।
सब मचाये शोर थे।।
बंधी हथकड़ी देखे वो थी।
थानेदार पकड़े पतिचोर थे।।
बच्चें माँगे फीस वो थी।
मम्मी देखे बैगकोर थे।।
दिनरात न सोई वो थी।
पल्लू के भीगे दोंनों छोर थे।।
पल्लू बाँधें दसरुपये वो थी।
संग समाज जिल्लत हुयेबोर थे।।
रिश्वत माँगे रिश्वतखोर वो थी।
बर्तन माज बच्चे पढ़ें खींचेंडोर थे।।
तारीख बदलें मम्मी वो थी।
पढ़ें लिखे बेटे देखे पोर थे।।
सज्जो चतुर्वेदी