विधाता छंद
विधाता छंद
कलम सबकी पसंदीदा, मगर पेंसिल हमें भाए।
कराए सर कलम अपना,न आँसू एक भी लाए।
घिसे जितना उसे कोई, नुकीली और हो जाए,
खुशी के साथ जीने का, सरल पैगाम दे जाए।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
विधाता छंद
कलम सबकी पसंदीदा, मगर पेंसिल हमें भाए।
कराए सर कलम अपना,न आँसू एक भी लाए।
घिसे जितना उसे कोई, नुकीली और हो जाए,
खुशी के साथ जीने का, सरल पैगाम दे जाए।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद