विद्रोही बनो
आओ, अपनी महत्ता जानें!
हम अपना सामर्थ्य पहचानें!!
जिस तरह लोग रहते आए हैं
उसी तरह नहीं रहना होगा!
शोषण, उत्पीड़न या अपमान
हमें और नहीं सहना होगा!!
सत्ता के सामने सिर झुकाना
कहीं परम्परा ही न बन जाए
परिणाम की चिंता किए बिना
जो सच है उसे कहना होगा!!
यथास्थितिवाद सामाजिक जड़ता ले आता है।
Shekhar Chandra Mitra
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हरिवंशराय बच्चन की एक कविता के विरोध में लिखी गई कविता