विद्योत्तमा विदुषी
विद्योत्तम विदुषी थी।
पराजित विद्वान स्वीकार ना पाया ।
अहंकार का हार इतना कि महामूर्ख ढूंढ लाया ।
ये बदला है,बदलाव की हैं जरूरत ।
ये इतिहास है ।
राजा शारदानंद धन्य था।
मस्तिष्क ,हृदय विशाल था।
जो बेटी को शिक्षा दिलाया ।
पर दुनिया में धोखेबाज हैं ।
सामने से पराजित हो तो करता घात है।
जो विद्वान ने दिया महामूर्ख (बाद में कालिदास ) खोज |
विदुषी होना अपने आप में संपूर्ण होना है।
जो राष्ट्र का शान सम्मान है।
हर माँ-बाँप को बेटी विद्योत्तमा बनाने की है जरूरत ।
जिसका अंदाज ही खूब , खूबसूरत होगा ।
जो अहंकार से है आहत उनको भी बेटी का ये रूप जंचेगा।
पुरूष भी दग्ध हृदय , परेशान जिंदगी जी रहा है आज ।
नई सोच की हैं जरूरत,
वर्तमान जीवंत करके तो देखो ।
शिक्षा , शिक्षित होने की हैं जरूरत।
औरत को बचाने की हैं जरूरत
_ डॉ. सीमा कुमारी ,बिहार ( भागलपुर )दिनांक-
9-1-022 की स्वरचित रचना है, जिसे आज प्रकाशित कर रही हूँ।
औरत को बचाने की हैं जरूरत।