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5 Dec 2016 · 1 min read

विद्यालयों में आग क्यों…

आदरणीय प्रबुद्धजन,
आत्मीय नमस्कार!

इधर..कश्मीर को लेकर, एक ऐसी खबर प्रसारित हो रही है जो अत्यंत चिंताजनक है! समाचार यह है कि वहां गत चार माह से विद्यालय बन्द तो चल ही रहे थे..अब उन बन्द विद्यालयों को जलाकर नष्ट भी किया जाने लगा है। अब तक ऐसे दर्जनों स्कूल आग के हवाले किए जा चुके हैं। निःसन्देह यह..एक बेहद गम्भीर मसला है, जिसपर पूरी शिद्दत से तवज़्ज़ो दिए जाने की दरकार है।

‘तालीम की इन पाक-मस्जिदों’ को खाक करने करने वाले..अपनी कौम, कश्मीर के आवाम या इस वतन..किसी के भी सगे नही हो सकते। यह साफ़ हो चुका है कि ऐसे तत्व..दुश्मन-मुल्क़ के हाथों खेल रही कठपुतलियों के मानिंद हैं..जो अब अपनी नई पीढ़ी के तालीम के रास्ते बंद कर देने के घृणित मिशन पर लगे हैं। क्या वे चाहते हैं कि कश्मीर की आने वाली नस्लें अनपढ़, नासमझ और ज़ाहिल बनें ताकि उन्हें आसानी से बरगलाकर गलत कामों में लगाया जा सके? क्या कश्मीर को भी वे सीरिया या अफगानिस्तान जैसा बना देना चाहते हैं?..यकीनन यही उनके मंसूबे हैं।

सवाल है यह सब स्प्ष्ट हो जाने के बाद..इतने संवेदनशील मुद्दे पर..स्थानीय तथा केंद्र की सरकारें क्या कर रही हैं? यह समय की मांग है कि..न केवल बन्द पड़े स्कूलों को अविलम्ब खुलवाकर पठन-पाठन शुरू हो..साथ ही बच्चों, शिक्षकों,अन्य कर्मियों आदि की सुरक्षा भी सुनिश्चित किया जाना निहायत जरुरी है। ‘शिक्षा’ प्राप्त करना वहां के लाखों-करोड़ों बच्चों का बुनियादी हक़ भी है। माननीय उच्च एवं सर्वोच्च न्यायालय को भी इस ओर संज्ञान लेना चाहिए।

विनीत/आपका
अनिल शूर

Language: Hindi
494 Views
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