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18 Aug 2021 · 1 min read

विदा

कितना असहज है
अपने किसी को विदा करना

चाहे घर का हो या बाहर का
कितना असहज हैं
अपने किसी को विदा करना ।

गर हो बेटी तो बहुत मुश्किल
आंसूओं से भीगा आंचल
मन में उद्घाटित कसमसाहट
नापाक नजर से बचे रहना
कितना असहज है ।

गर ध‌ंसा हो कोई दिल में
एक घर बना लिया हो अपना
प्रीत कोपलों की बाल्यावस्था
दूर अपने आपको रखना
कितना असहज है ।

एक पड़ाव पार कर लिया हो
प्रेम वटवृक्ष बड़ा हो गया हो
इस काट दे कोई जड़ सहित
दर्द अपना तब बयां करना
कितना असहज है ।

Language: Hindi
77 Likes · 578 Views
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