विदाई
आखों में आंसू संजोए हुऐ
कर रहें हैं तुम्हे हम खुद से जुदा
खुश रहो तुम सदा जहाँ भी रहो
दे रहें है तुम्हे हम दिल से दुआ
सुंदर बगिया के फूल थे तुम सभी
सीन्चा दिल से तुम्हे ताकि महको सभी
यूँ ही फलते हुऐ आगे बढते हुए
महक अपनी बखेरो यही है दुआ
जब आए यहाँ पर अंजान थे
मासूम चेहरों पर तुम्हारे अरमान थे
हमने दिल से हमेशा संवारा तुम्हे
महकते रहो तुम चमन में सदा
संग खेलते हुए आगे बढते रहे
कभी लङते रहे गले मिलते रहे
समय चलता रहा हम अंजान थे
आ गई अब घटी जब हौगे जुदा
खूब सेवा करो तुम माँ बाप की
जिम्मेदारी निभाओ समाज की
परिंदो की तरह आसमां छूते रहो
धुर्व तारे की भान्ति चमको सदा
मन उदास है फिर भी दिल में खुशी
यही दिल से दुआ कभी हो ना दुखी
दीप शिक्षा का जीवन में जगा कर
उजियारा बखेरो यही है दुआ
लम्हा अनमोल होगा जब आओगे तुम
होगा दिल को गर्व देख कामयाब तुम
ग्यान तुमको दिया वो काम आ गया
काश ऐसा ही हो ये हमारी रजा
गिले शिकवो को तुम सदा भूल जाना
मीठे लम्हों को तुम संग ले जाना
बीते पल न कभी फिर लोट आएंगे
सुखविन्द्र यादों में जिन्दा रखना सदा