विडंबना (मुक्तक)
विचारशील आज आत्म-मुग्ध हो रहे ,
सत्य-भाषी आज सत्य को ही खो रहे ,
बड़ी विडंबना में हिंद-देश है “कान्हा” ,
जगाने वाले आज कमली ओढ़ सो रहे ।।
विचारशील आज आत्म-मुग्ध हो रहे ,
सत्य-भाषी आज सत्य को ही खो रहे ,
बड़ी विडंबना में हिंद-देश है “कान्हा” ,
जगाने वाले आज कमली ओढ़ सो रहे ।।