विजयादशमी
विजयादशमी
अधर्म पर धर्म की जीत का है ये पर्व पावन,
अधर्म प्रतीक रूप में जलेगा आज फिर से रावण।
प्रभु श्रीराम ने इस दिन लंका नगरी पर विजय पाई थी,
महासती सीता माता का स्वाभिमान व अस्मिता बचाई थी।
इस दिन प्रभु श्रीराम ने सत्य धर्म की शक्ति सबको दिखलाई थी,
निर्दोष अबला नारी पर कुदृष्टि डालने की सजा रावण ने पाई थी।
पाप और अधर्म का खात्मा कर प्रभु ने नवयुग की नीव जमाई थी,
अधर्म अनाचार का वध कर प्रभु कृपा से धर्म पताका फहराई थी।
विजयादशमी का पावन पर्व प्रतीक है अधर्मियों के संहार का,
सत्य धर्म और सुनीति रक्षा की खातिर पाप के प्रतिकार का।
विजयादशमी हमें शिक्षा देता अपने अंदर के रावण को मारने का,
काम क्रोध लोभ अहम जैसे अवगुणों को स्वभाव से हटाने का।
परंतु जब तक कोई अपने अंदर की बुराइयां नहीं छोड़ेगा,
तब तक कैसे कह सकता कि बुराई का अंत हो जाएगा।
जब तक लोगों में हैं ये बुराइयां ये पापी खत्म न हो पाएगा,
कितना भी जला लो रावण पुतले को ये फिर जिंदा हो जाएगा।।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर, रायपुर छत्तीसगढ़