* विजयदशमी मनाएं हम *
** गीतिका **
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बढ़ें आगे विजय पथ पर विजयदशमी मनाएं हम।
बहुत हैं छद्म के रावण सभी को मिल जलाएं हम।
जगाकर भावना निज देश की खातिर अहर्निश अब।
करें शुभ शक्ति का संधान कुछ करके दिखाएं हम।
समझकर मर्म पर्वों का वही शुभ भाव हो अपना।
दिखावा छोड़ कर उल्लास हर मन में जगाएं हम।
बहुत हैं देश के दुश्मन घुसे हर प्रांत कस्बों में।
समझ लें अर्थ शस्त्रों का नहीं केवल सजाएं हम।
करूणा शौर्य हो प्रभु राम जैसा आज जन-जन में।
दशहरे के इसी संदेश का परचम उठाएं हम।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, २४/१०/२०२३