विचार
सूरज का तेज मुझमें,
शमशीरों की ताकत मुझमें,
बाहुबली का बल मुझमें,
सत्य की प्रखरता मुझमें।
मैं ही मीरा की भक्ति,
मैं ही दुर्गा की शक्ति,
मैं ही साधक की साधना,
मुझसे ही सारी संभावना।
मैं मंथन लेखकों का
मैं चिंतन पीढ़ियों का।
मैं जनमानस की वाणी,
नहीं मैं विनाश की आंधी।
जिसे सदियां ना मार सकीं,
जिसे तलवारें ना काट सकीं।
आया हूँ तो कुछ कर जाऊंगा,
सोते को जगा जाऊंगा,
मैं युग बदल जाऊंगा।
रोक सको तो रोक लो मुझको,
मैं परिवर्तन का शंखनाद कर जाऊंगा।
मैं बस एक विचार हूंँ
शाश्वत हूँ, अजर हूँ, अमर हूँ।