विचार
सोचने का कार्य हमारे हाथ में नहीं है l इसे परमात्मा ने अपने हाथों में लिया हुआ है l हमारा कार्य केवल कर्म में निहित है l इसलिए कर्म प्रधान होकर ही सब कुछ प्राप्त हो सकता है l
सोचने का कार्य हमारे हाथ में नहीं है l इसे परमात्मा ने अपने हाथों में लिया हुआ है l हमारा कार्य केवल कर्म में निहित है l इसलिए कर्म प्रधान होकर ही सब कुछ प्राप्त हो सकता है l