विचारो की तरंग
मन में उठती विचाराे की तरंग,
वाे भरते जीवन पथ में नया रंग,
हर क्षण देते साथ करने काे सत्संग,
मिटाते अज्ञान और तम ,रहते संग,
फूलाे सा महकाओ अपना वतन,
ज्ञान का हाे प्रसार ,भूखा न रहे तन,
खुशियों से चहके धरा ,हाेकर चमन,
हर घर हाे देवालय, मंदिर हाे हर मन,
भाई से भाई का रिश्ता बने गहरा,
सूखा तरु भी हाेने लगा फिर से हरा,
मिट जाये छुपे हुए निराशा के भुजंग,
हर दिन हाेती बुराईयाे से हमारी जंग,
सुख से रहाे ताे हर घर लगता महल,
मिलकर चलाे ताे हाेती मुश्किल हल,
इन्द्रियाें काे लेकर चलता मन सारथी,
मन हाेगा समर्पित ,वाे छाेड़ेगा न रथी,
।।।जेपीएल।।।