Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2023 · 1 min read

वाह रे मेरे समाज

वाह रे मेरे समाज
औरत बिके तो कहलाये
तवायफ..!
और मर्द बिके तो कहलाये
दूल्हा..!!
और दोनों के खरीदार भी
आप और हम
डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

2 Likes · 337 Views
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*साम्ब षट्पदी---*
*साम्ब षट्पदी---*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
#संस्मरण
#संस्मरण
*प्रणय*
उसने कहा :
उसने कहा :
Diwakar Mahto
अरमान
अरमान
इंजी. संजय श्रीवास्तव
*प्राकृतिक संगीत*
*प्राकृतिक संगीत*
Shashank Mishra
ज़िंदगी से थोड़ी-बहुत आस तो है,
ज़िंदगी से थोड़ी-बहुत आस तो है,
Ajit Kumar "Karn"
"हमारे बच्चों के भविष्य खतरे में हैं ll
पूर्वार्थ
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
शिवाजी गुरु समर्थ रामदास – ईश्वर का संकेत और नारायण का गृहत्याग – 03
Sadhavi Sonarkar
विश्वास
विश्वास
Dr. Pradeep Kumar Sharma
बेबाक ज़िन्दगी
बेबाक ज़िन्दगी
Neelam Sharma
2532.पूर्णिका
2532.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बचा ले मुझे🙏🙏
बचा ले मुझे🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
संवेदना की बाती
संवेदना की बाती
Ritu Asooja
कुरसी महिमा धत्ता छंद
कुरसी महिमा धत्ता छंद
guru saxena
कोई दरिया से गहरा है
कोई दरिया से गहरा है
कवि दीपक बवेजा
कर लो कभी तो ख्बाबों का मुआयना,
कर लो कभी तो ख्बाबों का मुआयना,
Sunil Maheshwari
कहाॅ॑ है नूर
कहाॅ॑ है नूर
VINOD CHAUHAN
*हम किसी से कम नहीं*
*हम किसी से कम नहीं*
Dushyant Kumar
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
Yogendra Chaturwedi
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
अरशद रसूल बदायूंनी
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
॰॰॰॰॰॰यू॰पी की सैर॰॰॰॰॰॰
Dr. Vaishali Verma
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
कुछ फूल तो कुछ शूल पाते हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मन ये मुस्कुराए
मन ये मुस्कुराए
Shinde Poonam
अमीर घरों की गरीब औरतें
अमीर घरों की गरीब औरतें
Surinder blackpen
गुरु पूर्णिमा
गुरु पूर्णिमा
Ram Krishan Rastogi
गज़ल
गज़ल
Jai Prakash Srivastav
बहुत कहानी तुमने बोई
बहुत कहानी तुमने बोई
Suryakant Dwivedi
*वृक्ष लगाओ हर साल*
*वृक्ष लगाओ हर साल*
Krishna Manshi
*क्षीर सागर (बाल कविता)*
*क्षीर सागर (बाल कविता)*
Ravi Prakash
Loading...