Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Dec 2024 · 1 min read

” वाह री दुनिया “

” वाह री दुनिया ”

जिन्दगी बीत रही कमाने में,
वक्त बीत रहा बहाने में।

1 Like · 1 Comment · 20 Views
Books from Dr. Kishan tandon kranti
View all

You may also like these posts

कुदरत के रंग.....एक सच
कुदरत के रंग.....एक सच
Neeraj Agarwal
पुस्तक
पुस्तक
Vedha Singh
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
मची हुई संसार में,न्यू ईयर की धूम
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
शाइरी ठीक है जज़्बात हैं दिल के लेकिन
Neeraj Naveed
*खादी ने अनुपम काम किया, चरखे ने कब विश्राम किया (राधेश्यामी
*खादी ने अनुपम काम किया, चरखे ने कब विश्राम किया (राधेश्यामी
Ravi Prakash
मेरे जीवन में गुरु का दर्जा ईश्वर के समान है। “गुरु बिन भव न
मेरे जीवन में गुरु का दर्जा ईश्वर के समान है। “गुरु बिन भव न
डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
दुश्मन उसके बाढ़ और सूखा
दुश्मन उसके बाढ़ और सूखा
Acharya Shilak Ram
"वक्त इतना जल्दी ढल जाता है"
Ajit Kumar "Karn"
हर घर तिरंगा
हर घर तिरंगा
Dr Archana Gupta
अपने और पराए की पहचान
अपने और पराए की पहचान
Sonam Puneet Dubey
1) आखिर क्यों ?
1) आखिर क्यों ?
पूनम झा 'प्रथमा'
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
ऐसे हैं हम तो, और सच भी यही है
gurudeenverma198
राधे राधे बोल
राधे राधे बोल
Shailendra Aseem
Even If I Ever Died.
Even If I Ever Died.
Manisha Manjari
खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
खुद को खोल कर रखने की आदत है ।
Ashwini sharma
दोहा पंचक. . . . .
दोहा पंचक. . . . .
sushil sarna
जो गुज़रती नहीं कभी दिल से,
जो गुज़रती नहीं कभी दिल से,
Dr fauzia Naseem shad
उपकार हैं हज़ार
उपकार हैं हज़ार
Kaviraag
प्यार भरी शहनाईयां
प्यार भरी शहनाईयां
इंजी. संजय श्रीवास्तव
बावला
बावला
Ajay Mishra
यक्षिणी-15
यक्षिणी-15
Dr MusafiR BaithA
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
स्वीकार कर
स्वीकार कर
ललकार भारद्वाज
कुदरत तेरा करतब देखा, एक बीज में बरगद देखा।
कुदरत तेरा करतब देखा, एक बीज में बरगद देखा।
AJAY AMITABH SUMAN
محبّت عام کرتا ہوں
محبّت عام کرتا ہوں
अरशद रसूल बदायूंनी
फरेब की इस दुनिया से, मानो जी ही भर गया।
फरेब की इस दुनिया से, मानो जी ही भर गया।
श्याम सांवरा
मुझे जगा रही हैं मेरी कविताएं
मुझे जगा रही हैं मेरी कविताएं
Mohan Pandey
"दुनिया के बदलने का कोई ग़म नहीं मुझे।
*प्रणय*
मंजिल की तलाश
मंजिल की तलाश
Deepali Kalra
वो जो करीब थे
वो जो करीब थे "क़रीब" आए कब..
Priya Maithil
Loading...