*”वायरस”*
“वायरस”
जीव जंतुओं में छिपी हुई चीत्कार
पहले ही सुन लेते इनकी करुण पुकार।
मांसाहारी तज दो शाकाहारी बना लो आहार।
मांसाहारी भोजन सेवन को कर लेते दुत्कार।
मांस मदिरा तज दो लो सात्विक आहार।
जीवन मरण अपने हाथों में स्वच्छता उपचार।
कोरोना वायरस को रोकने का कोई नहीं हथियार।
घर में सुरक्षित लक्ष्मण रेखा खींच लो प्राणी ये जीवन संचार।
सर्दी खांसी जुकाम से पीड़ित मानव में होता रहेगा ये प्रहार।
हाथ ना मिलाना दूर से ही सामाजिक दूरी बना संपर्क व्यवहार।
जन जन जनमत में बातें समझाना संयम धैर्य है उपचार।
विषाणु इतना सूक्ष्म जीव फैल जाता हवाओं में असरदार।
मौत का क्या एक दिन मारेगी मचा हुआ कोहराम हाहाकार।
अफवाहों से भी फैलते लोगों में करते अत्याचार।
मिट्टी के ढेर पर राख बन जायेगा पूरा परिवार।
रात के सुनसान जगह पर खाक हो जायेगा विश्व जगत संसार।
वायरस का कोई इलाज मिले ना कोई बचाव ही उपचार।
कोरोना के इस जंग में बच्चे ,बूढ़े, जवान ,सँघर्ष झेल रहा पूरा परिवार।
इस आतंक को रोकने का कोई बना नहीं हथियार।
साफ सफाई व्यवस्था बनाये रखें हाथ ,मुँह धोये बारम्बार।
जीवन को सुरक्षित रखने के लिए अपना फर्ज निभाते हुए सभी किरदार।
जय श्री कृष्णा जय श्री राधेय