वादियां
अपनी मस्ती में कोई दीवाना,
गीत उल्फत के गा रहा होगा..
या कोई परवाना किसी शम्मा को,
वफ़ा ए मुहब्बत सीखा रहा होगा..
चाँद फिर चांदनी के आंचल में,
धीरे धीरे खुद को छुपा रहा होगा…
वादियों में आज बहुत ठंढक है,
फिर कोई दिल को जला रहा होगा…
झील खामोश हवा गुनगुनाती आती है,
बूढ़ा माझी कोई फिर गीत गा रहा होगा..
फिर से छाई है बहार आज चिनारों पर,
लहू फिर से मासूमों का बहाया जा रहा होगा..
गमों की शाम है ज़रा सब्र कर तू सांस तो ले,
सियाह रात है नया दिन भी आ रहा होगा…