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4 Dec 2021 · 1 min read

वह दिन होगा कायामत का।

बन्द कर दो तुम दिखावा ज़िन्दगी मे अपनी शराफ़त का |
होगा हिसाब इक दिन तेरा भी वो दिन होगा कायामत का ||1||

अभी भी वक़्त है तौबा कर ले तू अपने सारे गुनाहो की |
ऐसा ना हो कि हर रास्ता बन्द हो जाए तेरी हिदायत का ||2||

वह पढ़ता है अक्सर नमाजें तन्हाइयों मे जाकर तन्हा |
चमक जो है उसके चेहरे पर वो नूर है खुदा की इबादत का ||3||

वह मुलाजिम है बड़ी कोठी का जानता है सबके राज |
उसको पता है कोठी के हर शक्स की सारी अदावत का ||4||

होगी ताजपोशी उनकी वो लड़कें है सारे सियासत दानों के |
सबको पता है आता नही है उनको क ख ग सियासत का ||5||

कोई समझा दे उस गरीब को वापस ले लेअपनी रपट शिकायत की |
यहाँ जिन्दगी मिट जाती है पर फैसला नही आता अदालत का ||6||

ताज मोहम्मद
लखनऊ

2 Likes · 2 Comments · 177 Views
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