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15 Jun 2023 · 1 min read

वह कठपुतली अब भाग चली

वह कठपुतली अब भाग चली
धागों में बंधी थी जो
वह कठपुतली अब भाग चली
हीरों से जड़ी थी जो।

तोड़ के हर डोर
जिससे वह बंधी थी
अपनी कमान
अपने हाथों में उसने ली
वह कठपुतली अब भाग चली।

सोने के पिंजरे से
काटों के खेतों में
उसने हर लड़ाई लड़ी
वह कठपुतली अब भाग चली।

आसमान से ऊंचे सपने
आंखों में भरी
क्षितिज को छूने की
ख्वाहिश थी जिसकी
वह कठपुतली अब भाग चली।

Language: Hindi
71 Views
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