Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Aug 2022 · 1 min read

वही मित्र है

जो सबसे निराला और विचित्र है ,वही मित्र है

कभी अल्हड़ तो कभी संजीदा बनकर,

हंसी खेल में तरकीब नई दिखा जाते

निराश चेहरों पर मुस्कान नई ले आते

ऐसे अद्भुत तथा विशिष्ट है ,वही मित्र है |

बीते कल की यादें ,बातें कुछ अनसुने

किस्से सहज ही दोहरा जाते

हर लम्हे को यूँ ही यादगार बना जाते

जीवनरूपी केनवास पर अंकित इक

सुंदर चित्र है ,वही मित्र है |

अनंत बातें,बेतुके किस्से कहकर

दुखों को हल्का कर जाते

जीवन की बगिया को महकाता इक

सुगंधित इत्र है ,वही मित्र है |

Language: Hindi
327 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बाहर से खिलखिला कर हंसता हुआ
बाहर से खिलखिला कर हंसता हुआ
Ranjeet kumar patre
एहसास
एहसास
Dr. Rajeev Jain
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है बस जागरूकता के साथ रूपांतरण करना
घृणा प्रेम की अनुपस्थिति है बस जागरूकता के साथ रूपांतरण करना
Ravikesh Jha
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
हँसते हैं, पर दिखाते नहीं हम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
मैं जैसा हूँ लोग मुझे वैसा रहने नहीं देते
VINOD CHAUHAN
हर किसी पर नहीं ज़ाहिर होते
हर किसी पर नहीं ज़ाहिर होते
Shweta Soni
दान किसे
दान किसे
Sanjay ' शून्य'
बैठे थे किसी की याद में
बैठे थे किसी की याद में
Sonit Parjapati
कड़वा सच
कड़वा सच
Jogendar singh
नारी..... एक खोज
नारी..... एक खोज
Neeraj Agarwal
"पूनम का चांद"
Ekta chitrangini
खुद से जंग जीतना है ।
खुद से जंग जीतना है ।
Ashwini sharma
हकीकत मोहब्बत की
हकीकत मोहब्बत की
हिमांशु Kulshrestha
चार लोग क्या कहेंगे?
चार लोग क्या कहेंगे?
करन ''केसरा''
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
गंगा- सेवा के दस दिन (नौंवां दिन)
Kaushal Kishor Bhatt
बीजः एक असीम संभावना...
बीजः एक असीम संभावना...
डॉ.सीमा अग्रवाल
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
ଧରା ଜଳେ ନିଦାଘରେ
Bidyadhar Mantry
बरसों में ना समझे जो
बरसों में ना समझे जो
Chitra Bisht
*घट-घट वासी को को किया ,जिसने मन से याद (कुंडलिया)*
*घट-घट वासी को को किया ,जिसने मन से याद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
वसन्त का स्वागत है vasant kaa swagat hai
Mohan Pandey
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
बह्र - 1222-1222-122 मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन काफ़िया - आ रदीफ़ -है।
Neelam Sharma
"आजकल औरतों का जो पहनावा है ll
पूर्वार्थ
क्यों अब हम नए बन जाए?
क्यों अब हम नए बन जाए?
डॉ० रोहित कौशिक
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
लगाव का चिराग बुझता नहीं
लगाव का चिराग बुझता नहीं
Seema gupta,Alwar
" महत्ता "
Dr. Kishan tandon kranti
संकल्प
संकल्प
Dr. Pradeep Kumar Sharma
4813.*पूर्णिका*
4813.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
जो रास्ते हमें चलना सीखाते हैं.....
कवि दीपक बवेजा
धधक रही हृदय में ज्वाला --
धधक रही हृदय में ज्वाला --
Seema Garg
Loading...