वही तो अपना ज़माने में नाम करते हैं
ग़ज़ल
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जो लोग सबका सदा , एहतराम करते हैं
वही तो अपना ज़माने में नाम करते हैं
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किसी से भी न जो तर्के ,कलाम करते हैं
दिलों में सब के वही तो , मक़ाम करते हैं
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उन्हीं का हमने सितारा, बुलन्द देखा जो
सभी को प्यार से झुक कर सलाम करते हैं
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हमारा इश्क़ इबादत से कम नहीं कुछ भी
ज़हां में लोग मुहब्बत तमाम करते हैं
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शिकस्ता दिल को किसी के,चलो तसल्ली दें
दुखी दिलों को हँसाने का , काम करते हैं
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सुकूत-ए- मर्ग है कैसे ,भुलाऊँगा उनको
वो मेरे क़ल्ब के अन्दर ,क़याम करते हैं
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सभी तो कहते यही “फ़ैज़” वक़्त करता सब
मगर मैं कहता यही, सब ये राम* करते हैं
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Geetkaar Faiz Badayuni
09958919395
* राम =अल्लाह, भगवान, ख़ुदा ,मालिक ,रब003