वस्ल की चाहत
तुमने नहीं बुलाया
या
मैंने नहीं सुना
ये जो न बुलाना
ओर
न सुनना है
कहीं यही इश्क तो नहीं
और अगर ये इश्क है
तो ये कहां से गिरा
मेरे और तुम्हारे दरम्यान
किस ने छोटे हैं ये प्रेम पुष्प
किस ने सींचा इसे
मेरे तुम्हारे हृदय के वस्ल की चाहत से
~ सिद्धार्थ