Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Aug 2017 · 3 min read

‘वसुधैव कुटुम्बकम’ विश्व एक परिवार

हमारी प्राचीन भारतीय संस्कृति समूचे विश्व की संस्कृतियों में सर्वश्रेष्ठ और समृद्ध संस्कृति है | भारत विश्व की सबसे पुरानी सभ्यता का देश है। भारतीय संस्कृति के महत्वपूर्ण तत्व शिष्टाचार, तहज़ीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं। अब जबकि हर एक की जीवन शैली आधुनिक हो रही है भारतीय लोग आज भी अपनी परंपरा और मूल्यों को बनाए हुए हैं। विभिन्न संस्कृति और परंपरा के लोगों के बीच की घनिष्ठता ने एक अनोखा देश ‘भारत’ बनाया है। हर भारतीय का ये कर्तव्य है कि वो अपनी भारतीय संस्कृति और उसके वैदिक ज्ञान का अंतरात्मा से अनुकरण करे जिससे की इस संस्कृति का और प्रचार प्रसार हो ये बढ़ती रहे तथा तेजस्वी रूप धारण करे। यह संस्कृति ज्ञानमय है और युतियुक्त कर्म करने की प्रेरणा देने वाली संस्कृति है। ये वो संस्कृति है जो मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम की अनुकरणीय और लीलापुरुषोत्तम श्री कृष्ण की अनुसरणीय शिक्षाओं की साक्षी है | भारतीय संस्कृति का अर्थ है, सर्वांगीण विकास, सबका विकास। भारतीय संस्कृति की आत्मा छुआछूत को नही मानती और ना ही हिन्दू और मुसलमान के भेद को जानती है | यह प्रेमपूर्वक और विश्वास पूर्वक सबका आलिंगन करके, ज्ञानमय और भक्तिमय कर्म का अखण्ड आधार लेकर माँगल्य-सागर की ओर तथा सच्चे मोक्ष—सिन्धु की ओर ले जाने वाली संस्कृति है।
भगवान् ने इस इच्छा से हम मनुष्यों का निर्माण किया है कि हम सब उसकी इस सृष्टि को अधिक सुन्दर, अधिक सुखी, अधिक समृद्ध और अधिक समुचित बनाने में उसका हाथ बंटायें। अपनी बुद्धि, क्षमता और विशेषता से अन्य पिछड़े हुये जीवों की सुविधा का सृजन करें और परस्पर इस तरह का सद्व्यवहार बरतें जिससे इस संसार में सर्वत्र स्वर्गीय वातावरण दृष्टिगोचर होने लगे। ये वो संस्कृति है जो अधिकार से ज्यादा कर्तव्य पालन पर बल देती है भारत देश और यहाँ की संस्कृति अनेक धर्मो को और उनकी शिक्षाओं को न केवल अपने में संजोय हुए है अपितु इस देश ने या संस्कृति ने किसी भी धर्म को श्रेष्ठ या निम्न नही आंका भारतीय संस्कृति यथार्थ के बहुआयामी पक्ष को स्वीकार करती है तथा दृष्टिकोणों, व्यवहारों, प्रथाओं एवं संस्थाओं की विविधता का स्वागत करती है। यह एकरूपता के विस्तार के लिए विविधता के दमन की कोशिश नहीं करती। भारतीय संस्कृति का आदर्श-वाक्य अनेकता में एकता एवं एकता में अनेकता दोनों है। भारत एवं भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ का भाव रखने वाली संस्कृति है| भारतीय संस्कृति ने न केवल भारत को अपितु समूची धरा को सदैव एक कुटुंब (परिवार) माना है जबकि अन्य देशों ने भारत को केवल बाज़ार मान है| लेकिन ये संस्कृति और इस संस्कृति में रचे बसे लोग इतने उदार है की हमने सदैव अन्य देशों की संस्कृतियों का दोनों बाहें फैलाकर स्वागत किया है | भारतीय संस्कृति के उपासकों की महान यात्रा अनादि काल से आरम्भ हुई है। इस संस्कृति में व्यास—वाल्मीकि, बुद्ध—महावीर, शंकराचार्य—रामानुज, ज्ञानेश्वर—तुकाराम, नानक—कबीर एवं महर्षि अरविन्द जैसी महान विभूतियां हुई जिन्होंने इस संस्कृति को आगे बढ़ाया और समृद्ध बनाया।
आइए, हम सब अपने आपसी मतभेदों को दरकिनार कर इस पावन—यात्रा में सम्मिलित हों। आज भारतीय संस्कृति के ये सारे सत्पुत्र हम सबको पुकार रहे हैं। यह पुकार जिसके हृदय तक पहुँचेगी और जो अपने राष्ट्र और उसकी संस्कृति की सेवा के लिए सजग हो जायेगा उसी का जीवन धन्य होगा।

Language: Hindi
Tag: लेख
8 Likes · 3 Comments · 21110 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
"चुनौतियाँ"
Dr. Kishan tandon kranti
// पिता एक महान नायक //
// पिता एक महान नायक //
Surya Barman
ख़ाली हाथ
ख़ाली हाथ
Shashi Mahajan
दोहा- अभियान
दोहा- अभियान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
वक्त ए रूखसती पर उसने पीछे मुड़ के देखा था
वक्त ए रूखसती पर उसने पीछे मुड़ के देखा था
Shweta Soni
ऐसे तो दूर नहीं होगी यह मुश्किल
ऐसे तो दूर नहीं होगी यह मुश्किल
gurudeenverma198
*गाड़ी निर्धन की कहो, साईकिल है नाम (कुंडलिया)*
*गाड़ी निर्धन की कहो, साईकिल है नाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
*हिंदी मेरे देश की जुबान है*
*हिंदी मेरे देश की जुबान है*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सच्चा प्यार तो मेरा मोबाइल अपने चार्जर से करता है एक दिन भी
सच्चा प्यार तो मेरा मोबाइल अपने चार्जर से करता है एक दिन भी
Ranjeet kumar patre
4710.*पूर्णिका*
4710.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
धर्म-कर्म (भजन)
धर्म-कर्म (भजन)
Sandeep Pande
यूपी में मंदिर बना,
यूपी में मंदिर बना,
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
.........
.........
शेखर सिंह
'अहसास' आज कहते हैं
'अहसास' आज कहते हैं
Meera Thakur
मेरे कफन को रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
मेरे कफन को रहने दे बेदाग मेरी जिंदगी
VINOD CHAUHAN
Dead 🌹
Dead 🌹
Sampada
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
तन्हाई बड़ी बातूनी होती है --
Seema Garg
सिलसिला
सिलसिला
Ramswaroop Dinkar
14--- 🌸अस्तित्व का संकट 🌸
14--- 🌸अस्तित्व का संकट 🌸
Mahima shukla
हमारे जैसी दुनिया
हमारे जैसी दुनिया
Sangeeta Beniwal
संस्कृति संस्कार
संस्कृति संस्कार
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
परिवार का सत्यानाश
परिवार का सत्यानाश
पूर्वार्थ
जाय फिसल जब हाथ से,
जाय फिसल जब हाथ से,
sushil sarna
नयन मेरे सूखने के कगार पर हैं,
नयन मेरे सूखने के कगार पर हैं,
Chaahat
गर्मी उमस की
गर्मी उमस की
AJAY AMITABH SUMAN
भक्ति गीत (तुम ही मेरे पिता हो)
भक्ति गीत (तुम ही मेरे पिता हो)
Arghyadeep Chakraborty
#justareminderekabodhbalak
#justareminderekabodhbalak
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चलती  है  जिन्दगी  क्या ,  सांस , आवाज़  दोनों ,
चलती है जिन्दगी क्या , सांस , आवाज़ दोनों ,
Neelofar Khan
..
..
*प्रणय*
Loading...